हिंदी निबंध – Hindi Nibandh
हिंदी भाषा में ‘निबंध’ शब्द का अर्थ ‘बँधा हुआ’ होता है। ‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा’ द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी शब्द सागर’ में निबंध का अर्थ ‘बंधन’ दिया गया है। अत: किसी भी एक हिंदी निबंध (Hindi Nibandh) पर एक योजना बनाकर सरल, रोचक, आकर्षक और स्पष्ट शब्दों में अपने विचार प्रकट करना ‘निबंध’ कहलाता है। ‘निबंध’ शब्द का दूसरा शाब्दिक अर्थ है वह व्याख्या, जिसमें अनेक मतों का संग्रह हो। इस अर्थ के अनुसार भी निबंध में लेखक चुने हुए विषय के ऊपर अपने स्वयं के विचार अथवा मत प्रकट करता है।
साधारणत: ‘प्रबंध’ और ‘लेख’ शब्द ‘निबंध’ के पर्यायवाची समझे जाते हैं, किंतु ‘निबंध’ और ‘लेख’ में थोड़ा अंतर होता है। किसी भी विषय पर केवल अपने विचार लिख देना ‘लेख’ कहलाता है; किंतु उसी विषय पर अपने विचारों को यथास्थान व्यवस्थित करके लिखना ‘निबंध’ कहलाता है। निबंध के अंतर्गत यदि किसी वस्तु का वर्णन भी किया जाता है तो भी लेखक को निजी विचार और भाव प्रकट करना आवश्यक होता है।
निबंध-लेखन का उद्देश्य
विद्यार्थियों को छोटी कक्षाओं में ही निबंध लिखने की प्रेरणा दी जाती है। आरंभ में उनसे छोटे-छोटे विषयों पर वर्णनात्मक निबंध लिखवाए जाते हैं। क्रमश: जब उन्हें निबंध लिखने का अभ्यास हो जाता है तब वे कुछ गंभीर विषयों पर भी निबंध लिखकर अपने विचार प्रकट करने में समर्थ होते हैं। निबंध-लेखन के द्वारा लेखक और पाठक दोनों को ही यथेष्ट लाभ होता है।
सर्वप्रथम निबंध-लेखन के द्वारा लेखक को विभिन्न प्रकार के विषयों एवं प्रसंगों पर सोचने और विचार करने का अवसर मिलता है।
निबंध-लेखन द्वारा लेखक की लेखन-शक्ति का विकास और अभ्यास होता है।
पाठक को लेखक की रुचि और विचार का ज्ञान होता है।
शिक्षक को विद्यार्थियों के ज्ञान की थाह लगती है। तब वह यह समझने में समर्थ हो जाता है कि विद्यार्थी अपने विचारों को व्यक्त करने में कहाँ तक सफल हो सकता है।
विद्यार्थी का मानसिक विकास किस स्तर का है तथा उसका साधारण ज्ञान कैसा है इसका अनुमान भी शिक्षक उसके निबंध-लेखन के द्वारा सहज ही लगा सकते हैं।
ऐसे लिखें हिंदी निबंध
हिंदी निबंध लिखना वास्तव में एक कला है। सर्वप्रथम जिस विषय पर निबंध लिखना हो, उस विषय पर पूर्ण रूप से विचार कर लेना चाहिए तथा मन में आए हुए विचारों को नोट करते जाना चाहिए। इसके पश्चात् निबंध की एक रूपरेखा बना लेनी चाहिए। इसी रूपरेखा के अनुसार निबंध के आरंभ में विषय-परिचय संक्षेप में देना चाहिए। विषय-परिचय को ही दूसरे शब्दों में ‘भूमिका देना’ अथवा ‘विषय प्रवेश कराना’ भी कहा जाता है।
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यह स्मरण रखना आवश्यक है कि भूमिका आकर्षक हो। आकर्षक विषय-प्रवेश ही पाठक के हृदय में लेखक के प्रति रुचि उत्पन्न करता है; पाठक का कुतूहल जाग्रत् करता है और वह पूरा निबंध पढ़ने की इच्छा करने लगता है। यदि भूमिका ही रोचक और कुतूहलवर्द्धक नहीं होगी तो पाठक कभी पूरा निबंध पढ़ने की इच्छा नहीं करेगा, इसलिए भूमिका-लेखन में कौशल की आवश्यकता पड़ती है।
विषय-परिचय के बाद लेखक को मुख्य प्रसंग का विस्तारपूर्वक वर्णन करना चाहिए। यह अंश निबंध का ‘मध्य भाग’ कहलाता है। मध्य भाग में लेखक को अपने एक-एक विचार पृथक्-पृथक् अनुच्छेद (पैराग्राफ) में प्रकट करने चाहिए। प्रत्येक बात क्रमपूर्वक समझानी चाहिए। विचारों को उलझने नहीं देना चाहिए। निबंध का मध्य भाग न अति संक्षेप में और न अति विस्तार में लिखना चाहिए।
पूरी बात समाप्त करके अंत में विषय का महत्त्व, उससे होनेवाले लाभ, हानि, अभाव आदि पर स्वयं के विचार प्रकट करने चाहिए, जिससे पाठक लेखक के विचारों से अवगत हो जाए कि उक्त विषय पर उसके विचार क्या हैं। निबंध का यह अंतिम भाग ‘उपसंहार’ कहलाता है। इसे ही पढ़कर लेखक के विचार, ज्ञान, आदर्श, उद्देश्य आदि के विषय में पाठक अपनी धारणा निश्चित करता है।
निबंध-लेखन के लिए वास्तव में दो मुख्य बातें आवश्यक हैं
- विषय-सामग्री – विषय-सामग्री से निबंध की रूपरेखा निखरती है
- शैली – शैली से सरलता, रोचकता एवं धारावाहिकता आती है।
निबंधों के प्रकार और विषय-क्षेत्र – Types of Hindi Nibandh (Essay)
हिंदी निबंध के विषयों (essay topics) का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। मानव-समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, मानव प्रवृत्तियाँ, आचार-विचार, जीव-जगत्, पशु-पक्षी, भवन, शहर, गाँव, यात्रा, आत्मकथा आदि किसी भी विषय पर निबंध लिखा जा सकता है।
सुविधा की दृष्टि से निबंध को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है
- वर्णनात्मक: वर्णनात्मक निबंध के अंतर्गत, आँखों देखा वर्णन किया जाता है; जैसे—पशु-पक्षियों, नगर-उपवन, पर्व-त्योहार आदि।
- कथात्मक या विवरणात्मक: कथात्मक या विवरणात्मक निबंध के अंतर्गत इतिहास, जीवन-चरित, कहानी, आत्मकथा आदि विषय आते हैं।
- भावात्मक अथवा विचारात्मक: भावात्मक अथवा विचारात्मक निबंध के अंतर्गत परोपकार, स्वावलंबन, विद्यार्थी-जीवन, सत्य, अहिंसा, क्रोध आदि विषय आते हैं।
- आलोचनात्मक: आलोचनात्मक निबंध के अंतर्गत किसी ग्रंथ विशेष की आलोचना अथवा किसी पात्र का चरित्र-चित्रण आदि करना पड़ता है। ऐसे निबंधों में विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों पर तर्कपूर्ण विचार करने पड़ते हैं।
अच्छे निबंध के गुण और विशेषताएँ – Characteristics of Hindi Nibandh (Essay)
- निबंध की भाषा सरल, सुस्पष्ट और सुबोध होनी चाहिए।
- वाक्य छोटे, सरल और भावपूर्ण होने चाहिए। लंबे-लंबे मिश्रित वाक्य लिखने से बचना चाहिए।
- निबंध में कृत्रिम भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- निबंध लिखते समय शब्दों और वाक्यों के क्रम ठीक रहने चाहिए।
- विराम-चिह्नों तथा अनुच्छेद का पूर्ण और उचित प्रयोग करना चाहिए।
- निबंध के अंतर्गत एक ही बात को घुमा-फिराकर बार-बार नहीं लिखना चाहिए।
- निबंध में परस्पर विरोधी बातें नहीं लिखनी चाहिए।
- निबंध लिखते समय विषय-सामग्री की सीमा का बहुत ध्यान रखना चाहिए।